चाहतों को ऐसे ही जवां रहने दो
महोब्बतों को यु ही तरसने दो
क्या पता...
किस मोड़ पे मंजिल मिल जाये :)
पर याद रखना...
मंजिल के रस्तों में जो सज़ा है
उसी से ही मंजिल पाने का मज़ा है :) :)
वरना मंजिल क्या है...
अपने आप में एक ठहराव ही तो है
और ठहराव किसे पसंद है...
ना ज़िन्दगी को और
ना ही ज़िन्दगी जीने वालों को :) :) :)
5 comments:
really nice
very nice Shveta
Bahut hi khoobsoorat rachna..
manzil ek thehraav hi to hai..
behad khoobsoorat nazariya.. :)
kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swagat hai..
pallchhin-aditya.blogspot.com
Beautiful and the smilies are perfect to end those lines...
Thank u all for motivating me to write... :)
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